Wednesday, June 24, 2020

Gurudev Bhagwan

गुरू को भगवान क्यो माने
हम बचपन से पढ़ते हैं कि गुरु भगवान के तुल्य होता है अगर हमारे जीवन में गुरु नहीं है तो हमारा जीवन व्यर्थ है गुरु के बिना ना मोक्ष है ना हमारे जीवन का उद्धार हो सकता है गुरुजी वह कड़ी है जो हमें भगवान से मिलाती है अगर हम गुरु नहीं बना लेंगे तो हमें भगवान नहीं मिल सकते क्योंकि गुरु ही हमें सच्चा रास्ता दिखाता भगवान से मिलता है । गुरु के बिना हम दान करते हैं या किसी की किसी भी प्रकार का हवन यज्ञ कुछ भी करते वह व्यर्थ है  कबीर साहिब की ऐसी कई गाड़ियां है जिसमें  गुरु की महिमा बताई गई है और गुरु को भगवान से बड़ा बताया गया है जैसे-
गुरु गोविंद दोऊ खड़े काके लागू पाय ।
बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताए।।
इस वाणी में गुरु को भगवान से भी बड़ा बताया गया है इसमें बताया गया है कि एक शिष्य को पहले गुरु के पांव छूने चाहिए क्योंकि गुरु ही उससे भगवान से मिलाता है अगर उसके जीवन में गुरु नहीं है तो वह भगवान को नहीं पा सकता इसलिए गुरु भगवान से भी बड़ा होता है

Gurudev bhagwan
गुरुऔर शिष्य

गुरु कैसा हो
आज के जमाने में लोगों का विश्वास गुरु के नाम से उठ गया है आखिर गुरु बनाए तो कीसे बनाएं गुरु कैसा हो
गुरु पूरा होना चाहिए और   तत्वदर्शी गुरु होना चाहिए जो हमें शास्त्र अनुसार भक्ति बताकर हमारे जीवन का कल्याण कर सके जो हमारे शास्त्रों को खोल कर बताएं और हमें शास्त्र अनुसार भक्ति विधि बता कर हमारे को  सर्व सुख की प्राप्ति करवाएं जहां जाने के बाद हमें किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है वही गुरू पुरा होता है गुरु पूरा होना जरूरी है अगर गुरु पूरा नहीं है तो हमें सर्व सुखों की प्राप्ति नही होगी।
Vishv guru
पुर्ण गुरु

वर्तमान में पूर्ण गुरु कौन है
वर्तमान में पूर्ण गुरु तत्व जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जो हमें शास्त्र अनुसार भक्ति विधि बता कर हमारे मानव जीवन का कल्याण कर सकते हैं जिन की शरण में जाने से ही मोक्ष संभव है तथा हमारे मानव जीवन का उद्धार हो सकता है 

Jagat guru
तत्वदर्शी संत

अगर आप सब भी अपने मानव जीवन का उद्धार करवाना चाहते हैं तो संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश लेकर शास्त्र अनुसार भक्ति कर कर अपने मानव जीवन का उद्धार करवाए और अधिक जानकारी के लिए देखिए साधना चैनल पर शाम को 7:30 से 8:30 बजे तक सत्संग


Wednesday, June 17, 2020

Janmasatmi

जन्माष्टमी का अर्थ
जन्माष्टमी श्रीकृष्ण के जन्म दिवस के उपलक्ष्य मनायी जाती है कहा जाता है की इस दिन कृष्ण जी ने मथुरा की जेल मे जन्म लिया था। इसलिए जन्माष्टमी मनाते है।

कृष्ण लीलाए
इंद्र पुजा निषेध
जब वृंदावन मे बारिश नही हो रही थी तो लोगो ने  इंद्र की पुजा का आयोजन कीया तो उस समय स्वयं श्री कृष्ण ने इंद्र की पूजा भी छुडवाकर उस एक परमात्मा भक्ति करने के लिए प्रेरणा दी थी । जिस कारण उन्होंने गोवर्धन पर्वत को उठाकर इंद्र के कोप से ब्रजवासियों की रक्षा की । और वो एक परमात्मा कबीर परमेश्वर है जिनकी भक्ति करने से सर्व सुख की प्राप्ति होती है

Janmastmi 2020
Janmastmi

पुर्ण परमात्मा के अनंत भुजाए
कबीर , चार भुजा के भजन में , भूलि परे सब संत ।                  कबिरा सुमिरै तासु को , जाके भुजा अनंत । 
श्री कृष्ण जी चतुर्भुजी भगवान थे , तो वो परमात्मा कौन है जिसकी अनंत भुजाएं हैं?
वो अनंत भुजाओ वाला परमात्मा कबीर परमेश्वर जिसका कोई आदि न अंत है वह परमात्मा अविनाशी है उनकी जन्म मृत्यु नही होती है उनकी शरण मे जाने से मोक्ष संभव है

Jnmastmi 2020
Janmastmi
कृष्ण का मित्र सुधामा जब द्वारिका गया कृष्ण से मिलने तथा आर्थिक सुविधा मांगने गये तब वह साथ चावल लेकर गये । तो कृष्ण जी ने एक मुठी चावल के बदले सुदामा का महल बनाया और परमेश्वर कबीर साहिब ने एक रोटी के बदले तैमूरलंग को सात पीढी का राज दे दिया । 

Jnmastmi 2020
Janmastmi

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Wednesday, June 10, 2020

HolyBible

सब मनुष्यों का पिता हजरत आदम 
ऊपर आसमान पर (जहाँ जिबराईल मुहम्मद जी को ले गया था) अपनी निकम्मी संतान को नरक में कष्ट उठाते देखकर रो रहे थे।  आदम जी जो साधना की उसके प्रतिफल में किस लोक में प्रवेश कर रहा है पर भी चैन से नहीं रह रहा है।
पवित्र बाईबल में लिखा है आदम के काईन , हाबिल दो पुत्र थे । काईन ने क्रोध में छोटे भाईहाबिल की हत्या कर दी । प्रभुने उसे श्राप दिया कितू रोजी के लिए भटकता रहेगा । जहाँसे पवित्र ईसाई धर्म के पूर्वजमुखिया की जीवनी प्रारम्भ होती है वही से हृदय विदारक घटनाऐं प्रारम्भ हो गई ।

पवित्र बाइबिल यूहन्ना ग्रंथि 16: 4-15 
ब्रह्म (काल) यही चाहता है कि पुण्यात्माओं को अपना अवतार (रसूल) बनाकर खरीदा है कि र चमत्कारों द्वारा उसको भक्ति रहित करवा देता है फिर अंत में वह किसी भी तरह से कष्ट प्राप्त कर मृत्यु को प्राप्त होता है।  

ईसा जी परमात्मा सत्यलोक से आकर मिले , एक प्रभु मार्ग बताया । ईसा जी एक ईश्वर की भक्ति समझाने लगे । लोगों के विरोध पर भी वे विचलित नहीं हुए । परन्तु काल ने विचलित करके वास्तविक ज्ञान को दूर रखा

वही मुहम्मद वही महादेव, वही आदम वही ब्रह्मा।  दास गरीब दूसरा कौन है, देख आपने घर मा।  गरीबदास जी ने कहा है कि आदम जी ब्रह्मा जी के अवतार थे।  उन्हें ब्रह्मा लोक में अदन की वाटिका में रखा गया था।  जहां से प्रभु की आज्ञा का उल्लंघन करने से उन्हें निष्कासित कर दिया गया था।  संत रामपाल जी महाराज अधिक जानकारी के लिए पवित्र पुस्तक "ज्ञान गंगा" मुफ्त प्राप्त करें।  अपना नाम, पूरा पता, मोबाइल नंबर हमें व्हाट्सएप करें।

Friday, June 5, 2020

Prakat diwas

कबीर साहेब का ही प्रकट दिवस क्यों


क्योकी कबीर परमात्मा जन्म नही लेते सशरीर प्रकट होते है और इसके कई प्रमाण है👇
कबीर परमात्मा का जन्म माँ के गर्भ से नहीं होता। वह स्वयं सतलोक से सशरीर आते हैं अपना तत्वज्ञान देने और मोक्ष प्रदान करने।
संत गरीबदास जी की वाणी है -
न सतगरु जननी जने, उनके मां न बाप।
पिंड ब्रह्मंड से अगम है, जहां न तीनों ताप।।


ऋग्वेद मण्डल 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है, कि पूर्ण परमात्मा अमर पुरुष जब लीला करता हुआ बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होता है उस समय कुंवारी गाय अपने आप दूध देती है जिससे उस पूर्ण प्रभु की परवरिश होती है।
यह लीला केवल कबीर परमात्मा ही करते हैं।

Prakat diwas, 2020
कबीर साहेब की वाणी


ज्येष्ठ मास की शुक्ल पूर्णमासी विक्रमी संवत् 1455 (सन् 1398) सोमवार को ब्रह्म मुहूर्त में कबीर परमेश्वर जी काशी के लहरतारा तालाब पर कमल के फूल पर शिशु रूप में प्रकट हुए। इस लीला को ऋषि अष्टानन्द जी ने आंखों देखा। वहाँ से नीरू-नीमा परमेश्वर कबीर जी को अपने घर ले आये।
गरीब, काशीपुरी कस्त किया, उतरे अधर उधार।
मोमन कूं मुजरा हुआ, जंगल में दीदार।।
स्वामी रामानंद जी ने अष्टानन्द जी से कहा, जब कोई अवतारी शक्ति पृथ्वी पर लीला करने आती है तो ऐसी घटना होती है।
कबीर   नाम स्वयं कबीर परमात्मा ने ही रखा
जब काजी कुरान लेकर शिशु रूप कबीर परमेश्वर का नामंकन करने गए तब कुरान शरीफ खोली तो उसमें सर्व अक्षर कबीर-कबीर-कबीर-कबीर हो गए। कबीर परमेश्वर शिशु रूप में बोले मैं कबीर अल्लाह अर्थात् अल्लाहु अकबर, हूँ। मेरा नाम ‘‘कबीर’’ ही रखो।
काजी गये कुरान ले, धरि लड़के का नाम।
अक्षर अक्षर में फुरया, धन कबीर बलि जांव।।
सकल कुरान कबीर है, हरफ लिखे जो लेख।
काशी के काजी कहै, गई दीन की टेक।।



हिन्दू मुस्लिम के बीच में, मेरा नाम कबीर।
आत्म उद्धार कारणे, अविगत धरा शरीर।।
कबीर साहेब ने इस वाणी में कहा है कि लोगो का आत्म उद्धार करने के लिए परमात्मा इस पृथ्वी पर प्रकट होते हैं।




पुर्ण परमात्मा हर युग मे आते है

सतयुग मे सत सुकृत के  टेरा, त्रेता नाम मुनिद्र मेरा।
द्वापर मे करूणामय कहाया , कलयुग नाम कबीर धराया।।

चारों युगों में सिर्फ कबीर परमात्मा के प्रकट होने के ही प्रमाण हैं
सतयुग में सत सुकृत नाम से,त्रेता में मुनीन्द्र नाम से, 
द्वापर में करुणामय नाम से,और कलयुग कबीर नाम से प्रकट होते है।
कबीर साहेब चारो युगों में प्रकट होकर पृथ्वी लोक पर आते हैं। उनका कभी माँ के गर्भ से जन्म नहीं होता। कमल के फूल पर प्रकट होते हैं। इसीलिए इसे जयंती नही प्रकट दिवस के रूप में मनाया जाता है।

सभी मानव जाति से प्रार्थना है की इस प्रकट दिवस पर संत रामपाल जी महाराज से नाम उपदेश लेकर अपने जीवन का कल्याण कराये
क्योंकि मनुष्य जन्म दुर्लभ है मिले ना बारंबार।
तरुवर से पत्थर टूट गिरे बहुर ना लगता डाल।।
 अर्थात जिस प्रकार एक वृक्ष से पत्ता टूटने पर वह वापिस उस डाल पर नहीं लग सकता उसका उसे संबंध खत्म हो जाता है उसी प्रकार यह मनुष्य जन्म बार-बार नहीं मिलता है एक बार ही मिलता है फिर हमें 8400000 योनियों में जाना पड़ता है अगर हम पूर्ण संत की शरण में जाकर नाम उपदेश लेकर भक्ति करेंगे तो हमारा यह जन्म मरण का योग खत्म हो जाएगा


Dipawali kitni shi h

दीपावली क्यों मनाई जाती हे कहां जाता है कि इस दिन श्रीराम 14 वर्ष वनवास भोग कर अयोध्या लौटे थे इस खुशी में दीपावली मनाई जाती है। अय...